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अपने बीमार माता-पिता के इकलौते देखभालकर्ता के रूप में, राहुल ने अपने आपको एक बेहद ही मुश्किल स्थिति में पाया| राहुल की माँ गीता दास (रोगी की गोपनीयता की रक्षा करने के लिए नाम बदल दिया गया है) की रीढ़ की हड्डी में घाव हो गया था और प्रारंभिक जाँच में पता चला कि उन्हें कैंसर था| राहुल ने जिन डॉक्टरों से परामर्श लिया था, उन्होंने उसे अपनी माँ का आगे इलाज वाराणसी में कराने की सलाह दी|
राहुल अपने आपको बेबस महसूस कर रहा था क्योंकि किसी दूसरे शहर की यात्रा करना बड़ा मुश्किल भरा था| ऐसा करने के लिए उसे अपने पिता को पीछे अकेला छोड़ना पड़ता, जिनकी स्थिति ब्रेन हेमरेज के बाद सुधर रही थी| इसका समाधान खोजने के लिए अत्याधिक परेशान और हताश होकर राहुल ने राँची में ही मेडिकल सेंटर ऑनलाइन तलाशना शुरू कर दिया जहाँ उसकी माँ को आवश्यक उपचार मिल सके| उसकी तलाश नव स्थापित राँची कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (आरसीएचआरसी) पर जाकर रूकी|
आरसीएचआरसी पहुंचकर राहुल ने डॉक्टरों की टीम से मुलाकात की| डॉक्टरों ने सलाह दी की कि रोगनिदान की पुष्टि करने के लिए गीता को फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी (एफएनएसी) सहित कुछ परीक्षणों से गुजरना होगा| जाँच के नतीजों से पता चला कि राहल की माँ की रीढ़ में घाव तो था, लेकिन आसपास की लसीका ग्रंथियाँ कैंसर से मुक्त थीं| इस खबर को सुनकर राहुल को सुखद आश्चर्य हुआ और उसने राहत की सांस ली क्योंकि पहले उसे विश्वास हो गया था कि उसकी माँ को कैंसर है|
जैसा कि किसी भी देखभालकर्ता के साथ होता है, राहुल के मन में भी अपनी माँ की स्थिति और उपचार के उपलब्ध विकल्पों को लेकर बहुत सारे सवाल उमड रहे थे| हालाँकि, आरसीएचआरसी की टीम ने बड़े धैर्य के साथ उसके सभी सवालों का इस तरह जवाब दिया जिससे कि वह आश्वस्त हो गया| उन्होंने राहुल को आश्वस्त किया कि उसकी माँ का घाव कैंसर के इलाज की मांग नहीं करता है| डॉक्टरों के भरोसे ने राहुल और उसकी माँ दोनों की चिंताओं को दूर कर दिया और गहन परामर्श के बाद, उन्होंने सर्जरी करवाने का फैसला किया|
राहुल मानता है कि समय पर आरसीएचआरसी की टीम के हस्तक्षेप और समर्थन के बिना, उसकी माँ को आवश्यक देखभाल नहीं मिल पाती जो उन्हें चाहिए थी| राहुल कहता है, “किसी अन्य अस्पताल में मेरे साथ इतना अच्छा व्यवहार नहीं किया गया होता| आरसीएचआरसी के डॉक्टरों ने बड़े धैर्य के साथ मेरे सभी सवालों का जवाब दिया और मेरे मन को शांति दी|"
पहले कई अस्पतालों का चक्कर लगाने के बाद, गीता और राहुल को आरसीएचआरसी में एक नया बदलाव भरा माहौल मिला| स्नेह से भरे और सुखद वातावरण ने उनके मन को सुकुन और भरोसा दिया|
सफल सर्जरी के बाद गीता अब ठीक होने की राह पर है| वह अपने उपचार के दौरान आरसीएचआरसी के कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शित धैर्य और सहानुभूति के लिए उनकी आभारी हैं| उन्होंने फिजियोथेरेपी करना जारी रखा है, जो उन्हें बताया गया था। यह उनके स्वास्थ्य लाभ में सहायक रहा है| “मैं सचमुच में गुणवत्तायुक्त चिकित्सीय देखभाल के लिए आरसीएचआरसी और टाटा ट्रस्ट की उनके प्रयासों के लिए आभारी हूँ| मुझे यहाँ के डॉक्टरों और नर्सों से बेहतरीन उपचार मिला, जिन्होंने इस बात के लिए हर संभव प्रयास किया कि मुझे अच्छी देखभाल मिले|”
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