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एक दशक से अधिक समय से, 22 वर्षीय रवींद्र शर्मा चेहरे की विकृति से जूझ रहे थे - उनके निचले जबड़े में लगातार आकार में बढ़ रहा एक फोड़ा हो गया था. सात सालों तक, उनका परिवार कई अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा लेकिन उन्हें सही चिकित्सीय सहायता नहीं मिल पा रही थी. किसी मार्गदर्शन या सहायता के अभाव में परिवार बेबसी से रवींद्र की हालत बिगड़ते हुए देख रहा था|
कुछ साल पहले राँची आने पर, आखिरकार परिवार को फोड़ा नियंत्रित करने का उपचार मिल गया जिससे शायद रवींद्र की स्थिति में मदद मिल सकती थी| हालांकि, यह जानकर उनका मन बैठ गया कि वे उपचार का खर्च नहीं उठा सकते थे| मायूस होकर रवींद्र और उनका परिवार वापस घर लौट गया, उनके पास जो थोड़ी सी उम्मीद बची थी, उन्होंने वह भी खो दी|
कुछ साल बाद, अक्टूबर 2021 में ग्राम सहिया (झारखंड में आशा कार्यकर्ता को इस रूप में जाना जाता है) की सलाह पर, रवींद्र अपने छोटे भाई के साथ पंडाडीह गाँव के पीएचसी में जाँच शिविर में आया| कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए हमारी आउटरीच टीम द्वारा राँची जिले में इन शिविरों को आयोजित किया जाता है|
टीम ने भाइयों की काउंसलिंग कर रवींद्र की स्थिति के बारे में उनका डर दूर कर दिया और आगे उन्हें राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (रिम्स), राँची में अपने स्वस्थ झारखंड जाँच कियोस्क पर जाने की सलाह दी| कियोस्क पर पहुंचने पर ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने रवींद्र की पूरी जांच-पड़ताल की| तब रोगी मार्ग दर्शक ने उन्हें रिम्स में आवश्यक परीक्षण करवाने की सलाह दी| बायोप्सी के नतीजों से पता चला कि युवक अब तक मसूड़ों के घाव फाइब्रश एपुलिस से पीड़ित था|
इस रोगनिदान से रवींद्र और उसके परिवार की आशंकाएं और बढ़ गईं| हालांकि, कियोस्क टीम की सलाह, मार्गदर्शन और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से वे तुरंत आगे के इलाज के लिए रिम्स के ऑन्कोलॉजी वार्ड में भर्ती हो गए|
दिसंबर 2021 में, एक सफल सर्जरी में घाव को निकाल दिया गया और डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम ने उनका जबड़ा फिर से बना दिया| उन्हें पोस्ट-ऑप निर्देश और फॉलो-अप प्लान बताने के कुछ दिन बाद छुट्टी दे दी गई और अब वे सामान्य जीवन में वापस लौटा आए हैं| वर्षों तक शारीरिक और भावनात्मक पीड़ा सहने के बाद रवींद्र के लिए यह जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था|
दर्द भरा वक्त अब गुजर गया है, रवींद्र एक नई शुरुआत कर खुश हैं और वे खुद को मिली देखभाल और सहायता के लिए, खासकर हर क़दम पर अपने और अपने परिवार के साथ खड़े रहे अपने रोगी मार्गदर्शक का आभारी हैं|
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