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जब झारखंड में बोकारो की रहने वाली की 44 वर्षीय रीमा शर्मा ने दिसंबर 2021 में राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (रिम्स) परिसर में हमारे जाँच और जागरूकता कियोस्क स्वस्थ झारखंड पर आईं, तो उनके बाएं स्तन में एक छोटी सी और दर्दकारी गाँठ थी|
कियोस्क पर, रीमा स्वाभाविक रूप से खोई हुई थी और उन्हें डर सता रहा था कि उनके साथ कुछ बहुत गड़बड़ है| दो बेटों की माँ रीमा बहुत पढ़ी-लिखी नहीं थीं और उनके परिवार की खराब माली हालत ने इलाज पर आने वाले खर्च को लेकर उन्हें और चिंता में डाल दिया था| अपने इलाके में महिला दर्जी का काम करने से जैसे-तैसे होने वाली मामूली आमदनी से इलाज लंबा होने पर कोई खास मदद नहीं मिलने वाली थी – खासकर, यह देखते हुए कि उनके बच्चों की शिक्षा इस पर निर्भर थी|
रीमा एक बार पहले भी रिम्स जा चुकी थीं जब पहली बार उनका ध्यान गाँठ पर गया था| हालांकि, समय के साथ, गाँठ बढ़ती रही, जिसके चलते नासूर बना गया जिसके फटने से अंततः एक छोटा सा घाव बन गया| दर्दनिवारक दवाएं लेने के बावजूद घाव ठीक नहीं हुआ और दर्द बना रहा| तब उनके इलाके के डॉक्टरों ने उन्हें आगे की जाँच के लिए फिर से रिम्स जाने की सलाह दी|
इस बार, कियोस्क पर प्रशिक्षित और मददगार नर्सों ने पूरी तरह से नैदानिक स्तन परीक्षण कर उन्हें बायोप्सी और अन्य आवश्यक परीक्षणों के लिए रिम्स के ऑन्कोलॉजी विभाग में भेज दिया| रोगी मार्गदर्शक ने उनका इस प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर मार्गदर्शन किया और रिपोर्ट प्राप्त करना सुविधाजनक बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास भी किया|
नतीजों ने पुष्टि कर दी जिसका उन्हें संदेह था - उनके बाएं स्तन में तेजी से फैलने वाला डक्टल कार्सिनोमा था| रीमा शुरू में इलाज कराने के लिए तैयार नहीं थीं लेकिन हमारे रोगी मार्गदर्शक के मार्गदर्शन से, अपनी आशंका को दूर कर रीमा इलाज के लिए आगे बढ़ने के लिए तैयार हो गई|
अपनी कीमोथेरेपी के दौरान रीमा को कियोस्क टीम से लगातार मदद और प्रोत्साहन मिलता रहा| कैंसर से उबरने वाले अन्य लोगों की कहानियों से उन्हें प्रेरित किया जो अपना इलाज पूरा करने के बाद पूर्ण और सामान्य जीवन जी रहे थे|
रीमा के लिए एक्सिलरी क्लीयरेंस के साथ संशोधित रेडिकल मास्टेक्टॉमी निर्धारित की गई, लेकिन शुरु में सर्जरी को लेकर उनमें घबराहट और संकोच बहुत ज़्यादा था| अपने रोगी मार्गदर्शक की बहुत अनुनय-विनय के बाद, जिसने उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी देखभाल वरिष्ठ और अनुभवी सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट के कुशल हाथों में होगी, वह इस प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हो गई| रोगी मार्गदर्शक ने रीमा को अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक समय देने के लिए किसी बाद की तारीख पर सर्जरी पुनर्निर्धारित करवाने का अतिरिक्त प्रयास किया|
अप्रैल 2022 में सफल सर्जरी के बाद, रीमा की कई चक्र कीमोथेरेपी हुई| आखिरकार, उसके डॉक्टरों ने कुछ बड़ी खुशखबरी सुनाई - रीमा अब कैंसर-मुक्त थी! हालांकि, एहतियाती तौर पर, उन्होंने रीमा को छह महीने में फॉलो-अप जाँच के लिए वापस आने की सलाह दी|
कियोस्क टीम की सहानुभूतिपूर्ण देखभाल और समय पर चिकित्सीय हस्तक्षेप के चलते, रीमा निराशा के जीवन से आगे बढ़ गई है और अब अपने दोस्तों और परिवार की सहायता से स्वस्थ और खुशहाल भविष्य को लेकर आशावान है|
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