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टाटा ट्रस्ट्स ने आज राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (रिम्स) रांची में एक जाँच और जागरूकता कियोस्क स्वस्थ झारखंड की स्थापना की घोषणा की. इस कियोस्क को ट्रस्ट की कैंसर पहल शाखा, अलामेलु चैरिटेबल फाउंडेशन (ACF) के माध्यम से स्थापित किया जाएगा, और यहाँ मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और मुंह, स्तन तथा गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर जैसे गैर-संचरणकारी रोगों (NCDs) की नि:शुल्क जाँच की सुविधा एवं साथ ही ओपीडी व आईपीडी रोगियों के देखभालकर्ताओं और आगंतुकों के लिए सामान्य स्वास्थ्य जाँच की सुविधा भी उपलब्ध होगी| लाभार्थियों को जीवन शैली, पोषण, मासिक धर्म, स्वास्थ्य और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयों पर स्वास्थ्य परामर्श भी प्राप्त होगा|
कियोस्क का उद्घाटन झारखंड राज्य में झारखंड सरकार के माननीय स्वास्थ्य मंत्री, श्री बन्ना गुप्ता द्वारा रिम्स और एसीएफ प्रबंधन टीम के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया|
उद्घाटन के दौरान, श्री बन्ना गुप्ता ने कहा, “राज्य में श्वसन-संबंधी विकारों, हृदय संबंधी समस्याओं और जीवन शैली-संबंधी कैंसर, जैसे मुंह, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और फेफड़ों के कैंसर के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है| इस मामले में लोगों में जागरूकता को बढ़ाने और नियमित जाँच को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है| आम तौर पर, एनसीडी के लक्षण कुछ समय तक सामने नहीं आते हैं और इससे पीड़ित लोग अपनी स्थिति से अनजान रह सकते हैं| समय पर जाँच से इनका जल्दी पता चलने से एनसीडी के पूर्वानुमान में भी मदद मिलेगी| जागरूकता सेवाओं से लोगों में व्यवहारिक और जैविक जोखिम वाले कारकों, जैसे तंबाकू और शराब के उपयोग, शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा, वसा और नमक के सेवन में वृद्धि आदि के प्रति अधिक जागरूकता आएगी|
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, झारखंड में कुल रोग भार में एनसीडी का योगदान 48% है, और एनसीडी के कारण होने वाली मृत्यु दर का प्रतिशत 30 वर्ष की आयु से बढ़ना शुरू हो जाता है| ऐसी अपेक्षा है कि इस कियोस्क से औसतन रोजाना 50-80 लोगों को सेवाएं दी जा सकेंगी|
तंबाकू का सेवन कई कैंसर सहित एनसीडी के लिए उत्तरदायी एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है| जीएटीएस 2 सर्वेक्षण के अनुसार, झारखंड में 40% लोग (60% पुरुष और 17% महिलाएं) किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन करते हैं| तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों पर जागरूकता सत्रों का आयोजन किया जाएगा और लाभार्थियों को बताया जाएगा कि किस तरह स्वयं मुंह के कैंसर के संकेतों की पहचान की जा सकती है|
टाटा ट्रस्ट के कैंसर केयर प्रोग्राम के मुख्य कार्यकारी डॉ. संजीव चोपड़ा ने कहा, “इस साल की शुरुआत में एसीएफ ने असम में स्वस्थ कियोस्क लगाना शुरू कर दिया है| असम में गुवाहाटी, बरपेटा, तेजपुर और डिब्रूगढ़ में मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में चार और महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक कियोस्क काम कर रहा है और प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक और प्रभावशाली रही है| इससे हमें झारखंड सहित अपने केंद्रित राज्यों में मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचने की प्रेरणा मिली है| हम स्वस्थ झारखंड के माध्यम से राज्य के लोगों की सेवा करने के लिए तत्पर हैं| एनसीडी और आसानी से पहचान लायक कैंसर का जल्द पता चलने से रोगियों का इलाज करना, जीवन बचाना, उपचार संबंधी खर्चों को नियंत्रण में रखना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना संभव है|
झारखंड राज्य में कैंसर की व्यापकता की दर अधिक है| 70% की उच्च मृत्यु दर के साथ प्रति एक लाख लोगों में 70 लोग कैंसर से पीडित हैं| पुरुषों में प्राथमिक कैंसर मुंह, फेफड़े और पेट का कैंसर है, और महिलाओं में स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और पेट का कैंसर है| नियमित और समय पर जाँच से आसानी से इनमें से अधिकांश कैंसर का पता लगाया जा सकता है|
स्वस्थ कियोस्क मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की सर्वाधिक आमद वाले क्षेत्रों में लगाए जा रहे हैं, जिससे अधिक से अधिक आगंतुक और तीमारदार मुफ्त जाँच सेवाओं का लाभ उठा सकें| आंध्र प्रदेश के तिरुपति; उड़ीसा के भुवनेश्वर; और असम के दीफू और सिलचर में इस तरह के कई और कियोस्क काम कर रहे हैं|
राँची कैंसर केयर फाउंडेशन (आरसीसीएफ) की स्थापना पहले ही हो चुकी है, जो झारखंड सरकार और टाटा ट्रस्ट की संयुक्त पहल है| इसकी स्थापना का उद्देश्य राज्य के लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण कैंसर केयर स्क्रीनिंग और उपचार सुविधाएँ उपलब्ध कराना है| ट्रस्ट ने झारखंड के भीतर एनसीडी की जाँच और प्रारंभिक पहचान कार्यक्रम सुदृढ़ बनाने और क्षमता का निर्माण करने के लिए राज्य के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया है|
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